madhura

Add To collaction

लेखनी कहानी -28-Mar-2023-कविता सागर

तीव्र जलती है तृषा अब भीम विक्रम और उद्यम

भूल अपना, श्वास लेता बार बार विश्राम शमदम

खोल मुख निज जीभ लटका अग्रकेसरचलित केशरि

पास के गज भी उठ कर मारता है अब मृगेश्वर

 

प्रिये आया ग्रीष्म खरतर!

   0
0 Comments